Sunday, May 11, 2008

जीत से बड़ी हार


सभी को जीत पसंद है । पर आप को पता है कुछ लोगो को हार ज्यादा पसंद है आप जानते है वो कोन लोग है ? मैं बताता हू । वो है आप के टीचर । क्या आप को पताहै उनको आपनी जीत से ज्यादा हार पसंद है कैसे ? जब भी उनका कोई विद्यार्थी उनसे आगे निकल जाता है तो उन को बहुत खुशी होती है । इस दुनिया मे केवल वो ही ऐसेहै जो सच मे आपनी हार से खुश होते है । यहां तक की वो आपनी हार के लिए आपने विद्यार्थियों को आशिर्वाद भी देते है तो आप ही बताइए उन से महान कोई हो सकता है । नही ना

एक विद्यार्थी
वरुण आनंद

Friday, May 9, 2008

इंतजार अतीत का



मैं आप को एक किस्सा बताता हू जिससे आप को लगेगा की हर कोई जानता है की वो क्या कर रह है और क्या कर चुका है ।
एक बार पेशे से टीचर किसी कारण से एक हॉस्पिटल पंहुचा कुछ देर इंतजार के बाद उसका मित्र आचानक वहां आया और बोला तुम यहां क्या कर रहे हो ? पहेले वाला बोला मैं किसी का इंतजार कर रहा हू उसने पूछा किसका ?
उसने कहा शायाद कोई पुराना विद्यार्थी मिल जाए जो यहां पर डॉक्टर हो और मेरा काम आसानी से हो जाए ।
कुछ देर बाद दोनों बाहर फिर मिले पहले वाले ने दूसरे से पूछा तुम यहां क्या कर रहे हो ?
उसने जवाब दिया किसी का इंतजार कर रह हू ।
पहेले वाले ने पूछा किसका ?
उस ने जवाब दिया शायद कोई पुराना विद्यार्थी रिक्शा चलता मिल जाए और घर छोड़ दे ।
इस तरह दोनों आपने आतीत का इंतजार कर रहे थे ।

सभी को पता होता है की वो क्या कर रह है और क्या कर चुका है ।

Wednesday, May 7, 2008

एक कदम अंत की ओर

अब हमे उस दिन का इंतजार करना शरू कर देना चाहिए जब हमारे पास खाने के लिए कुछ भी नही बचेगा। हां वो दिन अब बहुत करीब है जब लोग खेती की जाने वाली भूमि पर अपना मकान बनने लगेगे। आबादी इतनी तेजी से बड़ रही हे कि लोगों के पास रहने के लिए घर नही बचंगे और तब लोग ऐसा करने को मजबूर हो जायेगे अब आप सोचिए कि तब हम लोग क्या खायागे। आप सोच रहे होगे कि तब हम लोग मांसाहार खायेगे। पर आप जरा सोचिए कि शाखाहारी पशु जो हमारा भोजन बनेगे बिना आनाज के जीवित कैसे रहेंगे ? जब वो जीवित ही नही रहेंगे तो हमारा भोजन कैसे बनेगे ? अब सोच मे डूब गए ना कि हम खएंगे क्या ? अब मैं आप को बताता हू कि उस समय की शरुवात कर दी गई है जब लोगो को खाना धरती के ऊपर नही मिलेगा तबखाना हम समुन्द्रो से प्राप्त करेगे आब ऐसे बीजो की खोज शरू कर दी गए है जो समुन्द्र मैं आनाज उगायेगे। इससे एक समस्या तो दूर हो जायेगी पेर एक नए समस्या भारत के सामने आ जायेगी । कैसी ? मैं आप को बताता हू भारत एक कृषि प्रधान देश है भारत आपनी जरूरतों कि चीजे आनाज का निर्यात कर के अन्य देशो से मांगता है जब खेती नही हो गी तो भारत के भविष्य के बारे में आप अनुमान लगा सकते है ।
शायद अंत की ओर यह कदम मानवता जाती का अंत ना हो पर भारत की आतामनिर्भरता के लिए तो है ही ।

Tuesday, May 6, 2008

हमारी धरोहर


भारत एक कृषि प्रधान देश है हमारे पास जल भी बहुत मात्रा मे है फिर भी हम दूसरे देशो पर निर्भर है आपनी जरूरत की चीजे पर्याप्त मात्रा मे होते हुए भी दूसरे देशो से मांगने की जरूरत हमे क्यो है ? इसका एक ही कारण हो सकता है की आजादी के ६० साल के बाद भी हम अभी तक अपनी ताकत को पहचान नही पाए है।

Monday, May 5, 2008

hindustanikhoon


हम हिंदुस्तान के रहने वाले है पर हिन्दुस्तानी नही हें ये मैं नही कहता आप ही तो कहते है। आप ही तो कहते है की वो मुसलमान है मैं हिंदू हू और वो सिख। तो सब कोई न कोई है धर्म से जुड़े है पर कोई भी हिंदुस्तान से नही जुड़ा है तो जब कोई हिंदुस्तान से नही जुडा है तो वो हिन्दुस्तानी कैसे हो सकता है। तो ये मैं नही कहता आप ही कहेते है कि हिंदुस्तान मैं रहते हुए भी हम हिन्दुस्तानी नही है। जब किसी माँ को पता चलता है कि उसके बच्चो मैं बटवारा हो गया है तो उसके दिल पे जो गुजरती है उसे केवल एक माँ ही महसूस कर सकती है उसी तरह जब धरती माँ देखती है कि उसके बच्चे आपस मैं लड़ रहे है तो उसे कैसा लगता होगा ये हम और आप नही वो महसूस कर सकता है जिसका दिल एक माँ जैसा हो ।
धन्यवाद
एक हिन्दुस्तानी
वरुण आनंद