Wednesday, May 7, 2008

एक कदम अंत की ओर

अब हमे उस दिन का इंतजार करना शरू कर देना चाहिए जब हमारे पास खाने के लिए कुछ भी नही बचेगा। हां वो दिन अब बहुत करीब है जब लोग खेती की जाने वाली भूमि पर अपना मकान बनने लगेगे। आबादी इतनी तेजी से बड़ रही हे कि लोगों के पास रहने के लिए घर नही बचंगे और तब लोग ऐसा करने को मजबूर हो जायेगे अब आप सोचिए कि तब हम लोग क्या खायागे। आप सोच रहे होगे कि तब हम लोग मांसाहार खायेगे। पर आप जरा सोचिए कि शाखाहारी पशु जो हमारा भोजन बनेगे बिना आनाज के जीवित कैसे रहेंगे ? जब वो जीवित ही नही रहेंगे तो हमारा भोजन कैसे बनेगे ? अब सोच मे डूब गए ना कि हम खएंगे क्या ? अब मैं आप को बताता हू कि उस समय की शरुवात कर दी गई है जब लोगो को खाना धरती के ऊपर नही मिलेगा तबखाना हम समुन्द्रो से प्राप्त करेगे आब ऐसे बीजो की खोज शरू कर दी गए है जो समुन्द्र मैं आनाज उगायेगे। इससे एक समस्या तो दूर हो जायेगी पेर एक नए समस्या भारत के सामने आ जायेगी । कैसी ? मैं आप को बताता हू भारत एक कृषि प्रधान देश है भारत आपनी जरूरतों कि चीजे आनाज का निर्यात कर के अन्य देशो से मांगता है जब खेती नही हो गी तो भारत के भविष्य के बारे में आप अनुमान लगा सकते है ।
शायद अंत की ओर यह कदम मानवता जाती का अंत ना हो पर भारत की आतामनिर्भरता के लिए तो है ही ।